परमानंदको भाव, ध = धरापर बिखरती । नि = निरंतर जीभ तोरी, सा = साक्षातच सरस्वती परमानंदको भाव, ध = धरापर बिखरती । नि = निरंतर जीभ तोरी, सा = साक्षात...
रँगा था मैंने काग़ज़ हमारे एहसास का इत्र सा महकता रँगा था मैंने काग़ज़ हमारे एहसास का इत्र सा महकता
फिर क्यों उदास होते हो तुम; बे-सबब क्यों परेशाँ होते हो तुम ! फिर क्यों उदास होते हो तुम; बे-सबब क्यों परेशाँ होते हो तुम !
इन रंगीन शहरों में रहती हैं कई नीले रंग की औरतें। कभी मिले हो तुम, किसी नीली औरत से? इन रंगीन शहरों में रहती हैं कई नीले रंग की औरतें। कभी मिले हो तुम, किसी नीली औरत...
आंखें तेरी बड़ी नशीली भरमाती मुझे दिन रैन है आंखें तेरी बड़ी नशीली भरमाती मुझे दिन रैन है
पहले माँ के आँचल से बच्चा गीले हाथों को पोंछ लेता था ,कभी माँ के आँचल से अपने को छूपा लेता था माँ का... पहले माँ के आँचल से बच्चा गीले हाथों को पोंछ लेता था ,कभी माँ के आँचल से अपने को...